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वह अपने करम उँगलियों पर गिनते हैं, पर ज़ुल्म का क्या जिनके कुछ हिसाब नहीं
हम दूर तक यूँ ही नहीं पहुंचे ग़ालिब , कुछ लोग कन्धा देने आ गए थे…. .
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