Teri Subah-O-Aish Hai Kya Bala


तेरी सुबह-ओ-ऐश है क्या बला, तुझे ऐ फ़लक जो हो हौसला,
कभी करले आके मुक़ाबिला, ग़म-ए-हिज्र-ए-यार की शाम से.

Teri Subah-O-Aish Hai Kya Bala

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