Ek na Ek Din To Hassil Kar hi Lunga MANZIL
THOKRAIEN zehar to nahi jo kaha k mar jaoga..
Abhi to baaz ki asali udaan baaki hai,
Abhi to aapka imtihan baaki hai,
Abhi tak to aapne zamin dekhi hai,
Abhi to pura aasmaan baaki hai.
Agar manzil pana hai to HAUSALA sath rakhna,
Agar pyar pana hai to AITBAR sath rakhna,
Aur agar chaho hamesha muskurana,
To sab bhoolkar bas HAMEIN yaad rakhana.
Manzil unhi ko milti hai,
Jinke sapno mein jaan hoti hai,
Pankh se kuchh nahi hota,
Hauslon se udan hoti hai.
Khwahish aisi karo ki aasman tak ja sako,
Dua aisi karo ki khuda ko pa sako,
Yun to jeene ke liye pal bahut kam hain,
Jiyo aise ki har pal mein zindagi pa sako.
मेरी मंज़िल, मेरी हद बस तुम से, तुम तक,
फख्र यह के तुम मेरी हो , फिकर यह के कब तक.
मंजिलें तो हासिल कर ही लेगे,
कभी किसी रोज,
ठोकरें कोई जहर तो नहीं ,
जो खाकर मर जायेगें.
मैं अकेला ही चला था जानिबे-मंजिल,
मगर लोग साथ आते गए और कारवां बनता गया!
जिस दिन से चला हूँ मेरी मंज़िल पे नज़र है,
आँखों ने अभी मील का पत्थर नहीं देखा!
नहीं निगाह मे मंज़िल तो जुस्तजू ही सही
नहीं विसाल मयस्सर तो आरज़ू ही सही |
हूँ चल रहा उस राह पर जिसकी कोई मंज़िल नहीं,
है जुस्तजू उस शख़्स की जो कभी हासिल नहीं!
रफ़्ता-रफ़्ता मेरी जानिब, मंज़िल बढ़ती आती है,
चुपके-चुपके मेरे हक़ में, कौन दुआएं करता है।
पहुँचे जिस वक़्त मंज़िल पे तब ये जाना,
ज़िन्दगी रास्तों में बसर हो गई!
मंजिलें सब का मुकद्दर हों, यह ज़रूरी तो नहीं,
खो भी जाते हैं, नयी राहों पर चलने वाले!
हम खुद तराशते हैं मंजिल के संग ए मील,
हम वो नहीं हैं जिन को ज़माना बना गया!