रख ले 2-4 बोतल कफ़न में,
साथ बैठ कर पिया करेंगे,
जब माँगे गा हिसाब गुनाहों का,
एक पेग उससे भी दे दिया करेंगे
नशा हम किया करते है इलज़ाम शराब को दिया करते है…
कसूर शराब का नहीं उनका है जिनका चहेरा हम जाम मै तलाश किया करते है…
हम तो जी रहे थे उनका नाम लेकर,
वो गुज़रते थे हमारा सलाम लेकर,
कल वो कह गये भुला दो हुमको,
हमने पुछा कैसे!!!!
वो चले गये हाथो मे जाम देकर
हर रोज़ पीता हूँ तेरे छोड़ जाने के ग़म में,
वर्ना पीने का मुझे भी कोई शौंक नहीं,
बहुत याद आते है तेरे साथ बीताये हुये लम्हें,
वर्ना मर मर के जीने का मुझे भी कोई शौंक नहीं
जाम पे जाम पीने से क्या फायदा दोस्तों
रात को पी हुयी शराब सुबह उतर जाएगी!
अरे पीना है तो दो बूंद बेवफा के पी के देख
सारी उमर नशे में गुज़र जाएगी
महफ़िल में इस कदर पीने का दौर था
हमको पिलाने के लिए सबका जोर था,
पी गए हम इतनी यारो के कहने पर,
न अपना गौर था न ज़माने का गौर था
जाने कभी गुलाब लगती हे
जाने कभी शबाब लगती हे
तेरी आखें ही हमें बहारों का ख्बाब लगती हे
में पिए रहु या न पिए रहु,
लड़खड़ाकर ही चलता हु
क्योकि तेरी गली कि हवा ही मुझे शराब लगती हे
बैठे हैं दिल में ये अरमां जगाये,
के वो आज नजरों से अपनी पिलाये |
मजा तो तब ही पीने का यारो,
इधर हम पियें और नशा उनको आये
रात गुमसूँ है मगर चेन खामोश नही,
कैसे कहदू आज फिर होश नही,
ऐसा डूबा तेरी आखो की गहराई मैं,
हाथ में जाम है मगर पीने का होश नही
मे तोड़ लेता अगर तू गुलाब होती
मे जवाब बनता अगर तू सबाल होती
सब जानते है मैं नशा नही करता,
मगर में भी पी लेता अगर तू शराब होती
गरचे अहल-ए-शराब हैं हम लोग,
ये न समझो ख़राब हैं हम लोग
यहाँ कोई न जी सका, न जी सकेगा होश में,
मिटा दे नाम होश का,शराब ला शराब ला
शीशा रहे बग़ल में जाम -ए -शराब लब पर,
साक़ी यही मज़ा है दो दिन की ज़िन्दगी में