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मैं तेरे इश्क़ की छाँव में जल-जलकर काला न पड़ जाऊं कहीं,
तू मुझे हुस्न की धूप का एक टुकड़ा दे..!
मेरे दिल में एक धड़कन तेरी हैं,
उस धड़कन की कसम तू ज़िन्दगी मेरी है,
मेरी तो हर सांस में एक सांस तेरी हैं,
जो कभी सांस जो रुक जाए तो मौत मेरी हैं.
कोई पुछ रहा हे मुजसे मेरी जीन्दगी की कीमंत,
मुझे याद आ रहा है तेरा हल्के से मुस्कुराना.
अगर कभी थक जाओ तो हमसे कहना,
हम उठा लेंगे तुमको अपनी इन बाहों में,
आप एक बार प्यार करके तो देखो हमसे,
हम सारी खुशियां बिछा देंगे आपकी राहों में.
तेरे करम तो हैं इतने कि याद हैं अब तक,
तेरे सितम हैं कुछ इतने कि हमको याद नहीं!
भले ही किसी गैर की जागीर थी वो,
पर मेरे ख्वाबों की भी तस्वीर थी वो,
मुझे मिलती तो कैसे मिलती,
किसी और के हिस्से की तक़दीर थी वो.
तन्हाई की दीवारो पे घुटन का पर्दा झूल रहा है.
बेबसी की छत के नीचे,कोई किसी को भूल रहा है!
मेरे दर्द को भी आह का हक़ हैं,
जैसे तेरे हुस्न को निगाह का हक़ है,
मुझे भी एक दिल दिया है भगवान ने,
मुझ नादान को भी एक गुनाह का हक़ हैं.
“तेरी यादों के जो आखिरी थे निशान,
दिल तड़पता रहा, हम मिटाते रहे,
ख़त लिखे थे जो तुमने कभी प्यार में,
उसको पढते रहे और जलाते रहे”.
इस दिल का कहा मनो एक काम कर दो,
एक बे-नाम सी मोहब्बत मेरे नाम करदो,
मेरी ज़ात पर फ़क़त इतना अहसान कर दो,
किसी दिन सुबह को मिलो, और शाम कर दो.!
बेबस निगाहों में है तबाही का मंज़र,
और टपकते अश्क की हर बूंद,
वफ़ा का इज़हार करती है,
डूबा है दिल में बेवफाई का खंजर,
लम्हा-ए-बेकसी में तसावुर की दुनिया,
मौत का दीदार करती है,
ऐ हवा उनको कर दे खबर मेरी मौत की और कहेना,
के कफ़न की ख्वाहिश में मेरी लाश,
उनके आँचल का इंतज़ार करती है.
वो दिल ही क्या जो तुझसे मिलने की दुआ न करे,
ए सनम…….
में तुझको भूल कर जिन्दा रह सकूं ऐसा रब्ब न करे.
ग़म मौत का नहीं है,
ग़म ये के आखिरी वक़्त भी तू मेरे घर नहीं है,
निचोड़ अपनी आँखों को, के दो आंसू टपके,
और कुछ तो मेरी लाश को हुस्न मिले,
डाल दे अपने आँचल का टुकड़ा,
के मेरी मय्यत पे कफ़न नही है..
main ne dil se kaha ae divane bata,
jab se koi mila tu hai khoya hua,
ye kahani hai kya hai ye kya silasila ae divane bata,
main ne dil se kaha ae divane bata,
dhadakanon mein chupi kaisi aavaz hai,
kaisa ye geet hai kaisa ye saz hai,
kaisi ye baat hai kaisa ye raz hai ae divane bata.
Lahoo na ho to kalam tarjuman nahin hota
Hamare daur me aansoo zuban nahin hota
Jahan rahega waheen roshni lotaye gaa
Kisi charagh ka apna makan nahin hota
Khusi ka wada sabhi se kiya gaya hai to fir,
Mere LaboN ko bhi thodi bahot hansi to mile.
Hamara azm-e-safar kab kidhar ka ho jaaye,
Ye wo nahin jo kisi rehguzar ka ho jaaye,
Usee ko jeene ka haq hai jo is zamane mein,
idhar ka lagta rahe, aur udhar ka ho jaaye.
Mai katra hoke bhi toofaaN se jang leta hooN,
Mujhe bachana samandar ki zimmedari hai,
Muhabbat mein buri niyyat se kuch socha nahin jaata
Kaha jaata hai us ko be-wafaa, samjha nahin jaata
Jhukata hai ye sar jis ki ibadat ke liye us tak
Tera jazba to jaata hai tera sajda nahin jaata
Tumhare saath mein koi nayapan hai to bas ye hai
Bohot takleef deta hai, magar chhoraa nahin jaata.