झुकी झुकी नजर
तेरी कमाल कर जाती है, उठती है एक बार और सौ सवाल कर जाती है !!
ओ आँख चुरा के जाने वाले, हम भी थे कभी तेरी नज़रों में !!
हर नजर में मुमकिन नहीं है बे- गुनाह रहना, वादा ये करें कि खुद की नजर में बेदाग रहें।
नज़र ने नज़र से
मुलाकात कर ली रहे दूर दोनों मगर बात कर ली,
अपने चेहरे से जो जाहिर है छुपाये कैसे, तेरी मर्जी के मुताबिक नज़र आयें कैसे।
जलने दे चिराग मुझे अंधेरे से डर लगता हैं, आंखे बंद भी करू तो उसका चेहरा नज़र आता है।
फासले बहुत है हमारे दरमियान,
पर इतना भी नहीं की
नजर बंद करू
और वो नजर न आये।
अल्फ़ाजो में ढूंढ़ता हूं तुम्हें, हकीकत में कहाँ तुम नज़र आते हो।
कुछ यू मिली नजर उनसे, बाकी सब नजर अंदाज हो गए।