Navigation
चमक सूरज की नहीं मेरे किरदार की है, बर ये आसमाँ के अखबार की है, मैं चलूँ तो मेरे संग कारवाँ चले, बात गुरूर की नहीं, ऐतबार की है।
Name (required)
Mail (will not be published) (required)
Δ