Bebaas Nigahon Mein Hai Tabahi Ka Manzar


बेबस निगाहों में है तबाही का मंज़र,
और टपकते अश्क की हर बूंद,
वफ़ा का इज़हार करती है,
डूबा है दिल में बेवफाई का खंजर,
लम्हा-ए-बेकसी में तसावुर की दुनिया,
मौत का दीदार करती है,
ऐ हवा उनको कर दे खबर मेरी मौत की और कहेना,
के कफ़न की ख्वाहिश में मेरी लाश,
उनके आँचल का इंतज़ार करती है.

Category: Gulzar Shayari

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