ओस से प्यास कहाँ बुझती है
मूसला-धार बरस मेरी जान
बारिश में वो बचपन के पल,
कभी भूलेंगे नहीं हम।।
बारिश की बूंदों में झलकती है उसकी तस्वीर,
आज फिर भीग बैठे है उसे पाने की चाहत में।
ए बादल इतना बरस की नफ़रतें धुल जायें,
इंसानियत तरस गयी है प्यार पाने के लिये..!!
हम भीगते हैं जिस तरह से तेरी यादों में डूबकर !!
इस बारिश में कहाँ वो कशिश तेरे ख्यालों जैसी !!
इस बारिश के मौसम में अजीब सी कशिश है !!
ना चाहते हुए भी कोई शिदत से याद आता है !!
कभी बेपनाह बरस पडी,कभी गुम सी है !!
यह बारिश भी कुछ – कुछ तुम सी है !!
कही फिसल ना जाओ,
ज़रा संभल के रहना
मौसम बारिश का भी है
और मोहब्बत का भी है
मजबूरियाँ ओढ़ के निकलता हूँ घर से आजकल,
वरना शौक तो आज भी है बारिश में भीगने का !
रास्तों में सफ़र करने का मज़ा आ जाता है,
जब बारिश का सुहाना मौसम हो जाता है.
सारे इत्रों की खुशबू आज मन्द पड़ गयी,
मिट्टी में बारिश की बूंदे जो चंद पड़ गयी।
सुना है बारिश मे दुआ क़ुबूल होती है
अगर इज़ाज़त हो तो मांग लू तुम्हे
तुझसे अब बात तक करने को तरस गए है हम,
बिन मौसम हुई बारिश की तरह बरस गए है हम।।
याद आई वो पहली बारिश
जब तुझे एक नज़र देखा था